20 April 2017

1232 मोहब्बत सोच छोड़ जिद्द अश्क़ शायरी


1232
बस यहीं सोचकर छोड़ दी...
हमने जिद्द मोहब्बतकी,
अश्क़ तेरे गिरे या मेरे...
रोयेगी तो मोहब्बतही...!!!

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