3 April 2017

1181 मुद्दतें शख्स बाहर अंदर दिख शायरी


1181
मुद्दतें हो गयी,
कोई शख्स तो अब ऐसा मिले, फ़राज़...
बाहरसे जो दिखता हो,
अंदर भी वैसा ही मिले !!!

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