7 April 2017

1195 दिल आफत बिखरे रख्खे फेंके वक्त गुज़र झुलस खत गुलाब खुशबु इत्र दराज़ शायरी


1195
आफत हैं तेरे खतके,
बिखरे हुवे टुकड़े...
रख्खे भी नहीं जाते,
फेंके भी नहीं जाते
वक्त गुज़र गया झुलसके,
गुलाबकी पंखुडिंयोंको देखते,
पर उसके खुशबुकी महेक,
आजभी दिलसे हीं उतरती,
किसी इत्रकी दराज़से.......

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