24 April 2017

1246 मजबूरी समझ मजबूरी वापस शायरी


1246
मैने तुम्हारी मजबूरीयाँ समझी,
और तुम्हे जाने दिया...
अब तुम भी मेरी मजबूरी समझो,
और वापस आ जाओ...

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