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26 February 2017

1012 रात गुमसुम चाँद खामोश होश आँख गहराई हाथ जाम शायरी


1012
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखोंकी गहराईमें आज,
हाथमें जाम हैंमगर पिनेका होश नहीं l