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7 August 2019

4581 - 4585 होंठ उलझनें राह ज़िन्दगी कोशिशें बेहिसाब कसम चर्चे मशहूर रिश्ता नाम शायरी


4581
कभी तुम्हारा नाम,
कभी चिलम...
होठोंपर मेरे हमेशा,
चिंगारियाँ ही रहीं हैं...!

4582
हजारों उलझनें राहोंमें,
और कोशिशें बेहिसाब;
इसीका नाम हैं ज़िन्दगी,
चलते रहिये जनाब...!

4583
लोग बदनाम करते हैं हमें,
जिनके नामसे...
खुदा कसम अभी तो जी भरके,
उन्हें देखा भी नहीं हैं.......!


4584
नाम बदनाम होनेकी,
चिंता छोडो मेरे दोस्त...
जब-जब चर्चे हुए हैं,
तब-तब मशहुर हुए हैं हम...!

4585
आज गुमनाम हूँ तो ज़रा,
फासला रख मुझसे...
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो,
कोई रिश्ता निकाल लेना...!