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1 January 2019

3706 - 3710 ज़िन्दगी इरशाद शिद्दत सफ़र लम्हा सितम खुबसुरत गजल निगाहे दूरियाँ दिल शायरी


3706
झुको वहीं...
जहाँ किसीके दिलमें,
आपको झुकानेकी...
ज़िद हो.......!

3707
दिल खोलकर बड़ी शिद्दतसे,
जी लो इन लम्होको यारो;
ज़िन्दगी अपना इतिहास,
फिर नहीं दोहराएगी...!

3708
ज़िन्दगीका सफ़र,
इतना प्यारा होना चाहिए...
सितम हो फिर भी,
दिल शायराना होना चाहिए...!

3709
खुबसुरत गजल जैसा हैं,
उसका चाँदसा चेहरा...
निगाहे शेर ढ़ती हैं,
तो दिल इरशाद करता हैं...!

3710
दूरियाँ बढ़ाकर,
क्या मिला तुम्हे...
रहते तो आज भी,
मेरे दिलमें हो.......!