3706
झुको वहीं...
जहाँ किसीके
दिलमें,
आपको
झुकानेकी...
ज़िद
न हो.......!
3707
दिल खोलकर बड़ी शिद्दतसे,
जी लो इन लम्होको यारो;
ज़िन्दगी
अपना इतिहास,
फिर नहीं दोहराएगी...!
3708
ज़िन्दगीका सफ़र,
इतना
प्यारा होना चाहिए...
सितम हो फिर
भी,
दिल शायराना
होना चाहिए...!
3709
खुबसुरत
गजल जैसा हैं,
उसका चाँदसा
चेहरा...
निगाहे शेर पढ़ती
हैं,
तो दिल
इरशाद करता हैं...!
3710
दूरियाँ
बढ़ाकर,
क्या मिला तुम्हे...
रहते तो आज
भी,
मेरे दिलमें
हो.......!
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