15 January 2019

3776 - 3780 मुहोब्बत ज़िन्दगी आँख साँस दाँव लफ़्ज़ हाल खामोशी दीवाना अंजान दिल शायरी


3776
सुना हैं, दिलसे याद करो तो,
खुदा भी जाता हैं...
हमने तो साँसोंको भी दाँवपें लगा दिया,
फिर भी अकेले रहे.......

3777
ज़िन्दगीमें एक ऐसे,
इंसानका होना बहुत ज़रूरी हैं...
जिसको दिलका हाल बतानेके लिए,
लफ़्ज़ोंकी जरुरत पड़े.......

3778
खामोशी बहोत कुछ कहती हैं...
कान लगाकर नहीं,
दिल लगाकर सुनो.......

3779
मुहोब्बत ज़िन्दा हैं,
अभी हम जैसे दीवानोंसे...
कौन दिल लगाता हैं,
वरना आज अंजानोंसे.......

3780
मुहोब्बत खुद बताती हैं,
कहाँ किसका ठिकाना हैं;
किसे आँखोंमें रखना हैं,
किसे दिलमें बसाना हैं...

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