5 January 2019

3726 - 3730 मोहब्बत सुकून क़रार हसरत तन्हाई मुस्करा आवाज़ रूठा नसीब याद दिल शायरी


3726
सुकून अपने दिलका मैने खो दिया,
खुदको तन्हाईके समंदरमें डुबो दिया; 
जो थी मेरे कभी मुस्करानेकी वजह,
उसकी कमीने मेरी पलकोंको भिगो दिया।

3727
दिल जब टूटता हैं, तो आवाज़ नहीं आती...
हर किसीको दोस्ती रास नहीं आती;
यह तो अपने अपने नसीबकी बात हैं,
कोई भूलता ही नहीं और...
किसीको याद ही नहीं आती.......

3728
मैं नहीं जानता ये मोहब्बत हैं...
या कुछ और...?
बस, तेरी मुस्कुराहट,
से दिलको सूकून मिलता हैं.......!

3729
इक बे-क़रार दिलसे,
मुलाक़ात कीजिए...
जब मिल गए हैं आप,
तो कुछ बात कीजिए...!

3730
एक हसरत थी की,
कभी वो भी हमे मनाये...
पर ये कम्ब्खत दिल,
कभी उनसे रूठा ही नहीं...!

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