3751
हैं इश्क भी,
जूनून भी,
मस्ती
भी जोश-ऐ-ख़ून भी...
कहीं दिलमें दर्द, कहीं आह
सर्द,
कहीं रंग
जर्द.......!
3752
मेरे दिलको
कोई पढ न
सका...
और मैं खूद, खूदसे
लढ न सका.....
3753
मौसम बहुत सर्द
हैं,
ऐ दिल,
चलो कुछ ख्वाहिशोंको...
आग लगायें.......!!!
3754
सिर्फ तेरे इश्ककी,
गुलामीमें हूँ
आज भी;
वरना ये दिल,
एक अरसे तक
नवाब रहा हैं...!
3755
इक छोटीसी
ही तो हसरत
हैं,
इस दिल-ए-नादानकी...
कोई चाह ले
इस कदर,
कि
खुदपर गुमान
हो जाए...!!!
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