28 January 2019

3841 - 3845 प्यार तन्हाई मुकाम रेशम शिकायत याद तड़प ख्वाहिशें बारिश दिल शायरी


3841
बिना नक्शेके भी पंछी,
पहुँच जाते हैं अपने मुकाम तक...
एक हम इंसान हैं कि,
दिलसे दिलतक भी पहुँचनेमें,
नाकाम रहते हैं.......

3842
फ़क़त रेशमसी गांठे थी,
ज़रासा खोल लेते तुम ।
अगर दिलमें शिकायत थी,
जुबांसे बोल देते तुम...

3843
तेरी यादोंके जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे...
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यारमें,
उसको पढते रहे और जलाते रहे.......

3844
आज फिर तन्हाई,
लग जा गले;
के तुझसे लिपटके रोनेको,
बहुत दिल हैं.......!

3845
कहाँ पूरी होती हैं,
दिलकी सारी ख्वाहिशें...
कि बारिश भी हो,
यार भी हो,
और पास भी हो.....

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