3771
इश्क वो खेल
नहीं,
जो छोटे
दिलवाले खेलें;
रूह तक काँप
जाती हैं,
सदमे
सहते-सहते...!
3772
सो जा ऐ
दिल,
आज धुंध
बहुत हैं... तेरे
शहरमें...
अपने दिखते नहीं और,
जो दिखते हैं वो अपने नहीं...।
3773
सुनो ये दिल
भी,
बड़ी बेबस
चीज़ हैं...
देखता सबको हैं...!
पर ढूँढता सिर्फ
उन्हीको
हैं.......!
3774
दिलसे ज्यादा
महफूज,
कोई जगह नहीं दुनियामें...
मगर सबसे ज्यादा
लोग,
लापता यहींसे होते हैं...!
3775
तेरी याद दिलकी दहलीजपर,
फिरसे आ
गयी...
कुछ देर मुस्कुरायी
फिर,
मेरी आँखें भिगा गयी.......
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