14 January 2019

3771 - 3775 इश्क महफूज रूह बेबस दुनिया धुंध लापता याद दहलीज मुस्कुरा आँख दिल शायरी


3771
इश्क वो खेल नहीं,
जो छोटे दिलवाले खेलें;
रूह तक काँप जाती हैं,
सदमे सहते-सहते...!

3772
सो जा दिल,
आज धुंध बहुत हैं... तेरे शहरमें... 
अपने दिखते नहीं और,
जो दिखते हैं वो अपने नहीं...।

3773
सुनो ये दिल भी,
बड़ी बेबस चीज़ हैं...
देखता सबको हैं...!
पर ढूँढता सिर्फ उन्हीको हैं.......!

3774
दिलसे ज्यादा महफूज, 
कोई जगह नहीं दुनियामें...
मगर सबसे ज्यादा लोग,
लापता यहींसे होते हैं...!

3775
तेरी याद दिलकी दहलीजपर,
फिरसे गयी...
कुछ देर मुस्कुरायी फिर,
मेरी आँखें भिगा गयी.......

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