21 January 2019

3806 - 3810 प्यार इश्क मोहब्बत नफरत सुकून कमाल राज अश्क बेशक बरसात दिल शायरी


3806
प्यार करना सीखा हैं,
नफरतोंका कोई ठौर हीं;
बस तू हीं तू हैं इस दिलमें,
दूसरा कोई और हीं...!

3807
इश्क-मोहब्बतका तो,
कुछ पता नहीं...
बस उनको देखते हैं तो,
दिलको सुकून मिलता हैं...!

3808
कमालकी फनकारी हैं,
तुझमें...
वार भी दिलपें,
राज भी दिलपें.......!

3809
चुरा लो बेशक,
मगर हसीं;
अश्कोंकी बरसात भी,
चुरा लो कभी...

3810
लौट आया हूँ फिर,
शायरोंकी बस्तीमें...!
अब कहो दिलका दर्द सुनाऊँ,
या तेरी यादोंकी खुशबु फैलाऊँ...!

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