18 January 2019

3791 - 3795 इश्क़ मोहब्बत नफ़रत दर्द शर्त याद तलाश पनाह मशहूर नाम एहसास खुशबू दिल शायरी


3791
भुला तो दूँ तेरे कहनेपें,
तुझको दिलसे मैं;
मगर ये शर्त हैं...
तुझको भी याद आऊँ मैं.......!

3792
मैं खुशबू--रुह हूँ,
मुझे रास्तोपें तलाश ना कर...
तेरे ही दिलके किसी कोनेमें,
पनाहगार हूँ मैं.......!

3793
दिलसे साफ थे,
तो गुमनाम थे;
तेरे इश्क़के दागने,
मशहूर कर दिया.......!

3794
एहसास बदल जाते हैं बस,
और कुछ नहीं;
वरना मोहब्बत और नफ़रत,
एक ही दिलसे होती हैं...!

3795
सुनसानसी लग रही हैं,
आज ये शायरोंकी बस्ती...
क्या किसीके दिलमें,
अब दर्द नहीं रहा.......!

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