3736
बस एक बार
वो कह दे
हमसे,
दिल भर गया
इस मेलसे...
ज़िक्र भी ना
होगा हमारा,
कुछ ऐसे रुखसत
होंगे उनकी मैफीलसे...
3737
कभी तुम पूछ
लेना,
कभी हम
भी ज़िक्र कर
लेगें...
छुपाकर दिलके दर्दको,
एक दूसरेकी
फ़िक्र कर लेंगे...!
3738
मुस्कुराना
हर किसीके,
बसका नहीं हैं...
मुस्करा
वो ही सकता हैं,
जो दिलका
अमीर हो...!
3739
तुम्हे जब कभी
मिले फुर्सत,
मेरे दिलसे
बोझ़ उतार दो...
मैं बहोत दिनसे उदास हूँ,
मुझे कोई शाम
उधार दो...
3740
दिलकी बाते
तो,
इशारोंसे
होती हैं...
अल्फाजोसे तो अक्सर,
झगडे हुआ करते
हैं.......
No comments:
Post a Comment