7 January 2019

3736 - 3740 ज़िक्र फ़िक्र मैफील फुर्सत अमीर उदास उधार दर्द इशारे अल्फाज दिल शायरी


3736
बस एक बार वो कह दे हमसे,
दिल भर गया इस मेलसे...
ज़िक्र भी ना होगा हमारा,
कुछ ऐसे रुखसत होंगे उनकी मैफीलसे...

3737
कभी तुम पूछ लेना,
कभी हम भी ज़िक्र कर लेगें...
छुपाकर दिलके दर्दको,
एक दूसरेकी फ़िक्र कर लेंगे...!

3738
मुस्कुराना हर किसीके,
बसका नहीं हैं...
मुस्करा वो ही सकता हैं,
जो दिलका अमीर हो...!

3739
तुम्हे जब कभी मिले फुर्सत,
मेरे दिलसे बोझ़ उतार दो...
मैं बहोत दिनसे उदास हूँ,
मुझे कोई शाम उधार दो...

3740
दिलकी बाते तो,
इशारोंसे होती हैं...
अल्फाजोसे तो अक्सर,
झगडे हुआ करते हैं.......

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