14 January 2019

3766 - 3770 झलक तरस सुकून चहेरे दर्द कफ़न जमाना ख्वाब चोट बिछड़ना ख़ुशी दिल शायरी


3766
उसकी एक झलकके लिये,
दिल बार बार तरसता था...
सुकूनके मामलेमें,
वो जमाना सस्ता था...!

3767
कितना दर्द हैं दिलमें दिखाया नहीं जाता,
गंभीर हैं किस्सा सुनाया नहीं जाता...
एक बार जी भरके देख लो इस चहेरेको,
क्योंकि बार-बार कफ़न उठाया नहीं जाता...l

3768
दिलके सागरमें लहरें उठाया ना करो,
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो;
बहुत चोट लगती हैं मेरे दिलको,
तुम ख्वाबोमें आकर युँ तडपाया ना करो...

3769
हमें ख़ुशी मिल भी गयी...
तो रखेंगे कहाँ हम;
आँखोंमें हसरतें हैं,
और दिलमें तुम ही तुम...!!!

3770
खुदको मेरे दिलमें ही,
छोड़ गए हो,,,
तुम्हे तो ठीकसे,
बिछड़ना भी नहीं आता...!!!

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