30 January 2019

3851 - 3855 सौदा मुहब्बत यादें नाराज़ उदास मतलबी आँख धड़कन दिल शायरी


3851
जाने क्या था, जाने क्या हैं,
जो मुझसे छूट रहा हैं...
यादें कंकर फेंक रही हैं,
और दिल अंदर से टूट रहा हैं...

3852
उदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहीं,
तेरे दिलमें हूँ पर तेरे पास नहीं;
झूठ कहूँ तो सब कुछ हैं मेरे पास,
और सच कहूँ तो तेरे सिवा कुछ नहीं।

3853
सोचता हूँ,
अब खुदपर ही लगा दूँ इलज़ाम,
दिल मानता ही नहीं कि,
तुम मतलबी थे...!

3854
"क्या हुआ अगर हम किसीके,
दिलमें नहीं धड़कते...
आँखोंमें तो बहुत ही खटकते हैं...!"

3855
आओ कभी हमारे,
दिलके "डेरे" पर...
तुमसे मुहब्बतका,
"सच्चा सौदा" करना हैं.......

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