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28 August 2018

3211 - 3215 आराम दिल दर्द मोहब्बत तज़ुर्बे याद नाम आवाज़ ख़ास वक्त लफ्ज मुस्कुरा शायरी


3211
कहीं और सिर टिका लूँ तो,
आराम नहीं आता...
बेअक्ल दिल अच्छी तरह पहचानता हैं,
कन्धा तुम्हारा.......!

3212
दर्द अपनी इबारत,
लिखता हैं ख़ुद l
मोहब्बतमें सबके तज़ुर्बे,
खूबसूरत नहीं होते ll

3213
याद कर लेना मुझे तुम,
कोई भी जब पास हो;
चले आएंगे इक आवाज़में,
भले हम ख़ास हों...

3214
कही तो वो लिखते होंगे,
अपने दिलकी छुपी बाते;
कही तो बेशुमार लफ्जोमें,
मेरा नाम भी होगा...!!!

3215
जब वो मुझे देखकर,
पहली बार मुस्कुराई थी,
मैं तो उसी वक्त समझ गया की,
ये मुझे मुद्दतों तक रुलायेगी...