3211
कहीं और सिर
टिका लूँ तो,
आराम नहीं आता...
बेअक्ल दिल अच्छी
तरह पहचानता हैं,
कन्धा तुम्हारा.......!
3212
दर्द अपनी इबारत,
लिखता हैं ख़ुद l
मोहब्बतमें सबके तज़ुर्बे,
खूबसूरत नहीं होते ll
3213
याद कर लेना
मुझे तुम,
कोई भी
जब पास न
हो;
चले आएंगे इक आवाज़में,
भले हम
ख़ास न हों...
3214
कही तो वो
लिखते होंगे,
अपने दिलकी
छुपी बाते;
कही तो बेशुमार
लफ्जोमें,
मेरा नाम भी
होगा...!!!
3215
जब वो मुझे
देखकर,
पहली बार
मुस्कुराई थी,
मैं तो उसी
वक्त समझ गया
की,
ये मुझे
मुद्दतों तक रुलायेगी...