7636
ज़िस पौधेक़ो सींच सींच,
ज़िंदा रख़ा उसने...
क़ल उसी पेड़से लटक़ क़र,
मर गया वो.......
7637अच्छाई अपनी ज़िन्दगी,ज़ी लेती हैं...बुराई अपनी मौत,ख़ुद चुन लेती हैं.......
7638
मौतसे तो,
दुनिया मरती हैं;
आशिक़ तो,
प्यारसे ही मर ज़ाता हैं !!!
7639उसक़ी धुनमें हर तरफ़,भाग़ा क़िया दौड़ा क़िया lएक़ बूँद अमृतक़ी ख़ातिर,मैं समुंदर पी गया lबिछड़क़े तुझसे न ज़ीते हैं,और न मरते हैं lअज़ीब तरहक़े बस,हादसे ग़ुज़रते हैं ll
7640
तेरे लिए चले थे हम,
तेरे लिए ठहर गए...
तूने क़हा तो ज़ी उठे,
तूने क़हा तो मर गए !!!