4846
ज़िन्दगी
भी यहाँ,
क़त्ल करती हैं
अक्सर;
मौतने न
जाने कितनोकी,
जान बक्शी है.......!
4847
इश्क तुझसे करता हूँ
मैं ज़िन्दगीसे
ज्यादा,
मैं डरता नहीं
मौतसे तेरी
जुदाईसे ज्यादा l
चाहे तो आजमा
ले मुझे किसी
औरसे ज्यादा,
मेरी ज़िन्दगीमें कुछ
नहीं तेरी मोहब्बतसे ज्यादा ll
4848
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी,
तेरे हिज्रके
सहारे...
मेरी मौतको
भी,
कोई बहाना
चाहिए...।
4849
वक़्त चलता रहा,
तकलीफ सिमटती गई...
मौत बढ़ती गई,
ज़िन्दगी घटती गई...!
4850
किसीने खुदासे
दुआ मांगी,
दुआमें अपनी
मौत मांगी..
खुदाने कहा,
मौत तो तुझे
दे दु मगर,
उसे क्या कहूँ जिसने तेरी ज़िन्दगीकी दुआ मांगी...!
गुलजार