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3 November 2018

3506 - 3510 उम्र जिंदगी याद तड़प हौसले मेहनत ताज मंजिल रौशनी मोहताज़ भूल मोहब्बत शायरी


3506
एक उम्रके बाद,
उस उम्रकी बातें,
उम्रभर याद आती हैं...

3507
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनतके तख्तो-ताज नहीं मिलते;
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरोंमें मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनीके मोहताज़ नहीं होते !

3508
चलिए जिंदगीका जश्न,
कुछ इस तरह मनाते हैं;
कुछ अच्छा याद रखते हैं,
और कुछ बुरा भूल जाते हैं !!!

3509
ज़रूरी काम हैं लेकिन,
रोज़ाना भूल जाता हूँ,
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं,
बताना भूल जाता हूँ...
मैं सोचता रहा मगर,
फैसला ना कर पाया,
तू याद आ रही हैं या,
मैं याद कर रहा हूँ...!

3510
धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं !
जीवन यादोंकी पुस्तक बन जाती हैं !
कभी किसीकी याद बहुत तड़पाती हैं !
और कभी यादोंके सहारे जिंदगी कट जाती हैं !