9831
ज़ो बातें हमें भूल ज़ानी चाहिए,
वो सब हमें याद हैं ;
इसलिए हीं ज़िन्दगीमें,
इतना विवाद हैं ;
लहजे याद रहते हैं,
बातें याद रहती हैं ;
वक़्त गुज़र हीं ज़ाता हैं,
क़िसीक़े साथ भी क़िसीक़े बाद भी ll
9832
तुमने छेड़ा तो क़ुछ ख़ुले हम भी,
बातपर बात याद आती हैं.......
अज़ीज़ लख़नवी
9833
महसूस क़र रहे हैं,
तेरी लापरवाही क़ुछ दिनोंसे...
याद रख़ना अगर हम बदल गये,
तो मनाना तेरे बसक़ी बात नहीं.......
9834
बात हमेशा याद रख़ना,
तुम्हारे ज़ीतने शौक़ हैं...
उतनी तो मेरी आदतें हैं.....
9835
काँटोंपर चलक़र फूल ख़िलते हैं,
विश्वासपर चलक़र भगवान मिलते हैं,
एक़ बात याद रख़ना सुख़में सब मिलते हैं,
लेक़िन दु:ख़में सिर्फ भगवान मिलते हैं ll