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10 March 2020

5586 - 5590 खुशी ग़म नादानियाँ जवाँ जिन्दगी लहू रंग शायरी


5586
अब खुशी हैं,
कोई ग़म रुलानेवाला...
हमने अपनालिया हर रंग,
ज़माने वाला.......
                         निदा फ़ाज़ली

5587
अब लोग पूछते हैं हमसे,
तुम कुछ बदल गए हो...
बताओ टूटे हुए पत्ते अब,
रंग भी बदलें क्या.......

5588
फ़क़त बाल रंगनेसे,
कुछ नहीं होता गालिब।
नादानियाँ भी किया करो,
जवाँ बने रहनेके वास्ते।।

5589
कौन कहता हैं,
काला रंग अशुभ होता हैं;
स्कूलका वो ब्लैक बोर्ड,
लोगोंकी जिन्दगी बदल देता हैं...!

5590
मजहब ना पूछो गालिब,
बस गले मिलने दो...
सुना हैं सबके लहूके रंग,
एक जैसे होते हैं.......