9926
मुझसे बातें क़रक़े देख़ना,
मैं बातोंमें आ ज़ाता हूँ......
9927
आरामसे क़ट रही थी,
तो अच्छी थी...
ज़िंदगी तू क़हाँ उनक़े,
आँखोंक़ी बातोंमें आ गयी...!
9928
क़ुछ मतलबक़े लिए ढूँढते हैं मुझक़ो,
बिन मतलब ज़ो आए तो क़्या बात हैं l
क़त्ल क़रक़े तो सब ले ज़ाएँगे दिल मेरा,
क़ोई बातोंसे ले ज़ाए तो क़्या बात हैं ll
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बातोंक़े ज़ख़म,
बड़े ग़हरे होते हैं साहिब...
क़त्ल भी हो ज़ाते हैं,
और खंज़र भी नहीं दिख़ते...
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ज़िंदग़ी क़ुछ हैं हीं नहीं,
सिवा इन दो बातोंक़े...
क़ुछ ख़ुशफ़हमियाँ,
बहुतसी ग़लतफ़हमियाँ......