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26 August 2018

3206 - 3210 जिंदगी मोहब्बत अक्सर गहरे ज़ख्म खत्म रिश्ता आरज़ू वक़्त साज़िश मसरूफ़ नाज़ साथ पास हौंसला बर्बाद शायरी


3206
अक्सर जिनकी हँसी,
बहुत खूबसूरत होती हैं;
उनके ज़ख्म भी,
बहुत गहरे होते हैं...

3207
"मेरी हर तलाश,
तुमपर ही खत्म होगी;
मैंने अपनी आरज़ूओंको बस,
इतने ही पंख लगाये हैं " !

3208
नहीं होगा रिश्ता कमज़ोर,
हमारा और आपका;
ये तो वक़्तकी साज़िश हैं की,
कभी हम मसरूफ़ तो कभी तुम...!

3209
तेरी कमी भी हैं,
तेरा साथ भी हैं,
तू दूर भी हैं,
तू पास भी हैं,
खुदा ने यूँ नवाज़ा तेरी मोहब्बतसे,
मुझे गुरुर भी हैं और नाज़ भी हैं...!

3210
हो सकती हैं जिंदगीमें,
मोहब्बत दोबारा भी...
बस हौंसला चाहिए,
फिरसे बर्बाद होनेका ।।