Showing posts with label जिदंगी सुलह तलब पत्थर फर्क रंग तक़दीर तस्वीर कुबूल दस्तूर इल्जाम लहजा शायरी. Show all posts
Showing posts with label जिदंगी सुलह तलब पत्थर फर्क रंग तक़दीर तस्वीर कुबूल दस्तूर इल्जाम लहजा शायरी. Show all posts

21 August 2018

3196 - 3200 जिदंगी सुलह तलब पत्थर फर्क रंग तक़दीर तस्वीर कुबूल ज़माने दस्तूर इल्जाम लहजा शायरी


3196
कोई सुलह करा दे,
जिदंगीकी उलझनोसे;
बड़ी तलब लगी हैं आज,
मुस्कुरानेकी.......!

3197
पत्थर समझके,
हमें मत ठुकराओ;
कल हम मंदिरमें,
भी हो सकते हैं

3198
ज़िन्दगी तस्वीर भी हैं,
और तक़दीर भी,
फर्क रंगोका हैं...!
मनचाहे रंगोसे बने तो तस्वीर और,
अनजाने रंगोसे बने तो तक़दीर.......!

3199
हँसकर कुबूल क्या कर ली,
सजाए मैंने.......
ज़मानेने दस्तूर ही बना लिया,
मुझपर हर इल्जाम लगानेका.......!

3200
जरूरी नहीं कि कुछ तोडने केलिये,
पत्थर ही मारा जाए...
लहजा बदलकर बोलनेसे भी,
बहुत कुछ टूट जाता हैं.......