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7 April 2017

1194 जिन्दगी इश्क ज़्यादा ग़म शायरी


1194
आधेसे कुछ ज़्यादा हैं .......
पूरेसे कुछ कम.....
कुछ जिन्दगी...
कुछ ग़म …....
कुछ इश्क.....
कुछ हम…