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11 February 2020

5456 - 5460 दिल आँख साँसे चाह खूबसूरत हक शक गलत जिंदगी रिश्ते शायरी


5456
कुछ कह गए कुछ सह गए,
कुछ कहते कहते रह गए।
मैं सही तुम गलतके खेलमें,
जाने कितने रिश्ते ढह गए।।

5457
जो रिश्ते दिलोंमें पला करते हैं,
वही चला करते हैं; वरना...
आँखोंको पसन्द आने वाले तो,
रोज बदला करते हैं.......!

5458
यूँही कुछ साँसे उनकी,
उधार हो हमपर भी...
ऐसे रिश्ते भूलाए नही जाते,
चाहनेपर भी.......!

5459
हर रिश्तेका नाम,
जरूरी नहीं होता साहाब...
कुछ बेनाम रिश्ते,
रुकी जिंदगी को साँस देते हैं...!

5460
बहुत खूबसूरत होते हैं, ऐसे रिश्ते...
जिन पर कोई,
हक भी ना हो...!
और शक भी हो...!!!