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15 June 2018

2881 - 2885 दिल इश्क मोहब्बत बारिश याद फ़र्क़ बारिश जिस्म कोशिश ख्वाब नज़रें चाहत वकालत शायरी


2881
बारिश और मोहब्बत...
दोनो ही बहुत यादगार होते हैं,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना हैं;
बारिशमें जिस्म भीग जाता हैं,
और मोहब्बतमें आखे...

2882
गर नींद मिल जाए,
तो भेजना जरा,
बहुत सारे ख्वाब,
अधूरे हैं....... !!!

2883
बहुत कोशिशकी आज,
'सिर्फ' बारिशपर शायरी लिखु;
पर हर बौछार 'सिर्फ'...
तुम्हारी याद बरसा रही थी...!

2884
मैं भी किया करता था वकालत,
इश्क वालोंका कभी...
नज़रें उससे क्या मिलीं,
आज खुद कटघरेमें हूँ.......!

2885
दिलकी हालात बताई नहीं जाती,
हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती;
बस एक याद बची हैं उनके चले जानेके बाद,
हमसे तो वो याद भी दिलसे निकाली नहीं जाती।