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10 August 2017

1641 - 1645 दिल इश्क़ नाकाम किनारा मौत उम्र काम जज़्बात नज़रे मुस्कुराहट मोहब्बत शायरी


1641
मै,कहता हूँ,
मोहब्बतसे किनारा कर लूँ...
और दिल कहता हैं,
ये मोहब्बत दोबारा कर लूँ.......

1642
इतनी लम्बी उम्रकी दुआ ,
मत माँग मेरे लिये...
ऐसा ना हो कि तू भी छोड दे,
और मौत भी ना आए...!

1643
बात तो सिर्फ जज़्बातोंकी हैं,
वरना...
मोहब्बत तो सात फेरोंके बादभी,
नहीं होती...!!!

1644
बहोत मोहब्बत करती थी,
वो मेरी मुस्कुराहटसे...
इसलिए जाते जाते,
उसे भी साथ ले गयी.......

1645
झुकाली उन्होंने नज़रे,
जब मेरा नाम आया.......
इश्क़ मेरा नाकाम ही सही,
पर कही तो काम आया.......