Showing posts with label दिल जिंदगी पतझड फर्क कुदरत हकीकत नज़र इंसानियात अजब मोहब्बत ऋत मौसम शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल जिंदगी पतझड फर्क कुदरत हकीकत नज़र इंसानियात अजब मोहब्बत ऋत मौसम शायरी. Show all posts

1 April 2019

4061 - 4065 दिल जिंदगी पतझड फर्क कुदरत हकीकत नज़र इंसानियात अजब मोहब्बत ऋत मौसम शायरी


4061
पतझड भी हिस्सा हैं,
जिंदगीके मौसमका...
फर्क सिर्फ इतना हैं,
कुदरतमें पत्ते सूखते हैं और...
हकीकतमें रिश्ते

4062
पतझड़में सिर्फ,
पत्ते गिरते हैं l
नज़रोंसे गिरनेका कोई,
मौसम नहीं होता ll

4063
कोई मुझसे पूछ बैठा,
'बदलना' किस को कहते हैं ?
सोचमें पड़ गया हूँ मिसाल किसकी दूँ ?
"मौसम" की "अपनों" की या "इंसानियातकी...

4064
मौसममें अजबसी,
खुमारी हब्बतकी...
ऋत  रही हैं....... छा रही हैं...!
सुना हैं कि मोहब्बतकी...
ऋत रही हैं.......!

4065
मुट्ठीभर बीज बिखेर दो,
दिलोंकी जमीनपर...
बारिशका मौसम हैं,
शायद अपनापन पनप जाए...!