6576
उनकी महफिलमें नसीर,
उनके तबस्सुमकी क़सम;
देखते रह गए हम,
हाथसे जाना दिलका...
6577
काश वो भी
आकर हमसे कह
दे,
मैं भी तन्हाँ
हूँ...
तेरे बिन, तेरी
तरह...
तेरी क़सम, तेरे
लिए.......
6578
हमको क़सम तुम्हारी,
कुछ यकीन कर...
हम भी न उफ़ करेंगे,
चाहे कोई सताले.......
6579
तुम बात करनेका,
मौका तो दो.......
क़समसे रूला देंगे
तुम्हें,
तुम्हारेही
सितम गिनाते गिनाते...
वही सर्द रातें, वही फिर जुदाई...
सूना समां, और घेरे तन्हाई...
क़सम हैं तुम्हें, आज फिर ना न कहना...
सपनोंमें
मेरे तुम देना
दिखाई.......