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20 February 2020

5501 - 5505 दिल ताउम्र सबक याद नियत नजाकत मुलाक़ात अहसास सब्र रिश्ते उम्र शायरी


5501
साथ ताउम्र निभानेवाला,
कोई नही होता हैं...
ख़ुदको सदा खुदही के साथ,
चलना होता हैं.......!

5502
सारी उम्र बस,
एक ही सबक याद रखना;
दोस्ती और दुवामें,
बस नियत साफ़ रखना...

5503
हर एक उम्रकी,
अपनी अपनी नजाकत हैं...
अपना अपना लहजा हैं...
दोस्तोंसे मुखातिब होना तो,
हर उम्रमें जायज हैं,
क्योंकि हर एक दोस्त,
भरपूर जीनेका एक मस्तसा जायका हैं...

5504
भेजते रहिए अपनेपनके रंग,
एक दूसरे तक...
मुलाक़ात हो हो,
अपनेपनका अहसास,
होता रहें ताउम्र।।

5505
उठेगा, चलेगा, दौड़ेगा भी,
सब्र रख...
रिश्तेको भी एक,
उम्र चाहिए.......!