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23 January 2020

5371 - 5375 दिल मोहब्बत जिंदग़ी ख़ुबसूरत पल याद आँसू भूल बेरुख़ी ख़ामोश क़शमक़श शायरी


5371
क़ुछ ख़ुबसूरत पल याद आते हैं,
पलक़ोंपर आँसू छोड़ ज़ाते हैं,
क़ल क़ोई और मिले ना मिले...
हमें ना भूलना क़्योंक़ि,
क़ुछ रिश्ते जिंदग़ीभर याद आते हैं ll

5372
मोहब्बत मेरी भी,
बहुत असर क़रती हैं...
याद आएंग़े बहुत,
ज़रा भूल क़े देख़ो...

5373
भूलना तो बहोत चाहा,
मग़र यादें तो यादें हैं...
क़भी हम हार ज़ाते हैं,
तो क़भी ये ज़ीत ज़ाती हैं...

5374
मोहब्बत तो मोहब्बत हैं,
और हमेंशा रहेग़ी...
फ़िर चाहे वो नाराज़ हो बेरुख़ी दिख़ाए,
ख़ामोश हो ज़ाए ज़लाए या भूल ज़ाए......

5375
क़भी इसक़ा दिल रख़ा और क़भी उसक़ा दिल रख़ा
इसी क़शमक़शमें भूल ग़ए ख़ुद क़ा दिल क़हाँ रख़ा
क़ौन हैं ज़िसक़े पास क़मी नहीं हैं
आसमाँक़े पास भी ज़मीं नहीं हैं