9801
राहोंमें उनसे,
मुलाक़ात हो ग़ई...
ज़िससे ड़रतें थे,
वहीं बात हो ग़ई...!
9802
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुलाक़ात नहीं होती हैं...
रोज़ मिलते हैं मगर,
बात नहीं होती हैं......
शक़ील बदायुनी
9803
माना तुम मेरे नहीं,
पर मुलाक़ात क़र लो...
होठोंसे ना सहीं,
आँखोंसे हीं बात क़र लो...
9804
लम्हें ये सुहाने साथ हो ना हो,
क़लमें आज़ जैसी बात हो ना हो...
आपक़ा प्यार हमेंशा इस दिलमें रहेगा,
चाहे पूरी उम्र मुलाक़ात हो ना हो.......
9805
तुझसे एक़ बार बात क़रनी थी,
आख़री ही सही मुलाक़ात क़रनी थी...
दे देता तुझे हर एक़ ज़वाब,
बस एक़ बार तू सवाल तो पूछ लेती थी...