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8 December 2025

10116 - 10120 प्यार टूटे फूटे ख़्वाब ताबीर लफ्ज़ हंस चुपके आँखों सूरत हाथ लगा आज़मा तस्वीर शायरी

 
10116
अपने टूटे फूटे ख़्वाबोंकी,
ताबीर बनाता हूँ;
मैं बिखरे लफ्ज़ोंसे,
काग़ज़पर तस्वीर बनाता हूँ ll

10117
जब आँखोंमें लगाता हूँ,
तो चुपके-चुपके हंस-हंसकर...
तेरी तस्वीर भी कहती ,
सूरत ऐसी होती है !
                                             दाग़ देहलवी

10118
मेरी इक तस्वीर देखी तुमने,
पलभर प्यारसे...
और वो तस्वीर उस पल,
और प्यारी हो गई...!

10119
एक तस्वीर बनाऊंगा तेरी...
और फ़िर हाथ लगाऊंगा तुझे...!

10120
इस तरहसे न आज़माओ मुझे,
उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे...

                                        अली ज़ारयून