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27 September 2018

3331 - 3335 मोहब्बत जिंदगी बेमिसाल सजा गुनाह मुस्कराहट बिखर शर्मिंदा अंदाज़ शायरी


3331
मोहब्बतके बारेमें,
बस इतना ही कहेगें;
बेमिसाल सजा हैं,
बेगुनाहोके लिए...!

3332
तू थी तो...
तेरी मुस्कराहट पर बिखर जाता था...
तू गयी तो...
अब बिखरकर मुस्कुराना पड़ता हैं...

3333
शर्मिंदा करते हो रोज,
हाल हमारा पूँछकर...
हाल हमारा वहीं हैं,
जो तुमने बना रखा हैं.......

3334
हमारा अंदाज़ भी.
शायराना हो गया हैं जनाब...
जबसे उन्होंने कहां हैं कि,
मुझे शायरी और शायर बहुत पसंद हैं...!

3335
जिंदगी तू सचमें,
बहुत ख़ूबसूरत हैं;
फिर भी तू,
उसके बिना अच्छी नहीं लगती.......!