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इतना आसान नहीं,
ज़ीवनक़ा क़िरदार निभा पाना...
इंसानक़ो बिख़रना पड़ता हैं,
रिश्तोंक़ो समेटनेक़े लिए.......
8262ज़ज़्बातोंक़ा रिश्ता,हुआ क़रता था क़भी...मोहोब्बत अब सिर्फ़,दो रातोंक़ा ख़ेल बनक़र रह ग़या हैं...
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रिश्तोंपें भरोसा अब,
क़ैसे क़्यों क़रोगे...?
ज़ज़्बात महज़ ख़ेल हुआ,
ख़ेलते हैं लोग़.......
8264ज़ज़्बातक़ा ख़ामोश असर देख़ रहा हूँ...lबेचैन हैं दिल आँख़को तर देख़ रहा हूँ...ll
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मचलेंगे उनक़े आनेपें,
ज़ज़्बात सैंक़ड़ों...
हंस बोलनेक़ी होंगी,
हिक़ायात सैंक़ड़ों.......
चरख़ चिन्योटी