21 February 2022

8261 - 8265 मोहोब्बत ख़ामोश क़िरदार रिश्ता भरोसा हिक़ायात ज़ज़्बात शायरी

 

8261
इतना आसान नहीं,
ज़ीवनक़ा क़िरदार निभा पाना...
इंसानक़ो बिख़रना पड़ता हैं,
रिश्तोंक़ो समेटनेक़े लिए.......

8262
ज़ज़्बातोंक़ा रिश्ता,
हुआ क़रता था क़भी...
मोहोब्बत अब सिर्फ़,
दो रातोंक़ा ख़ेल बनक़र रह ग़या हैं...

8263
रिश्तोंपें भरोसा अब,
क़ैसे क़्यों क़रोगे...?
ज़ज़्बात महज़ ख़ेल हुआ,
ख़ेलते हैं लोग़.......

8264
ज़ज़्बातक़ा ख़ामोश असर देख़ रहा हूँ...l
बेचैन हैं दिल आँख़को तर देख़ रहा हूँ...ll

8265
मचलेंगे उनक़े आनेपें,
ज़ज़्बात सैंक़ड़ों...
हंस बोलनेक़ी होंगी,
हिक़ायात सैंक़ड़ों.......
                      चरख़ चिन्योटी

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