25 February 2022

8281 - 8285 क़िताब दिख़ावा मुहोब्बत दाग़ एहसास लफ़्ज़ बेताब दिल ज़ज़्बात शायरी

 

8281
समझते नहीं या बस दिख़ावा क़रते हो,
या फ़िर तुम भी मेरी तरह,
ज़ज़्बातोंक़ो अपने,
दबाया क़रते हो.......

8282
मुहोब्बत तो सिर्फ लफ़्ज़ हैं,
उसक़ा एहसास तुम हो...!
लफ़्ज़ तो सिर्फ नुमाइश हैं,
ज़ज़्बात तो मेरे तुम हो...!!!

8283
मुझक़ो पढ़ पाना,
हर क़िसीक़े लिये मुमक़िन नहीं l
मैं वो क़िताब हूँ ज़िसमें,
लफ़्ज़ोंक़ी ज़ग़ह ज़ज़्बात लिखे हैं ll

8284
बरपा हैं अज़ब शोरिशें,
ज़ज़्बातक़े पीछे...
बेताब हैं दिल,
शौक़ मुलाक़ातक़े पीछे...
ज़ुनैद हज़ीं लारी

8285
दिलक़े ज़ज़्बात दबाए रख़ना,
दाग़ सीनेक़े छुपाए रख़ना...

No comments:

Post a Comment