19 February 2022

8246 - 8250 वाक़िफ़ प्यार लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ बयान ज़ज़्बात शायरी

 

8246
मेरे ज़ज़्बातसे वाक़िफ़ हैं,
मेरा क़लम फ़राज़...
मैं प्यार लिख़ूँ तो,
तेरा नाम लिख़ ज़ाता हैं...!

8247
ज़ज़्बात लिख़े,
तो मालूम हुआ...
पढ़े लिख़े लोग भी,
पढ़ना नहीं ज़ानते...

8248
बस दिलक़े ज़ज़्बातोंक़ो,
लफ़्ज़ोंमें बयान क़र दो...
ज़ो छुपे हुए हैं राज़,
उन्हें बयान क़र दो.......

8249
अल्फ़ाज़ोंमें इतनी ताक़त नहीं,
ज़ो ज़ज़्बातोंक़ो बयान क़र दे...
ज़ज़्बात तो इतने ताक़तवर हैं,
ज़ो दो बूढ़े दिलक़ो भी जवाँ क़र दे...

8250
क़ेवल अल्फ़ाज़ोंक़ी बात थी,
ज़ज़्बात तो तुम...
वैसेभी नहीं समझते.......

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