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मुझे नहीं बनना तुम्हारी नज़रोंमें अच्छा,
मुझमें ख़ामी ही बेहतर हैं...
बदनामीक़ी शौहरतसे,
गुमनामी ही बेहतर हैं.......!
8177बदनाम ही तो हो गए हैं,आपक़ी मोहब्बतक़ी ख़ातिर...और आप भी छोड़ गए तन्हा,क़ुछ ज़्यादा ही हो शातिर.......
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बदनाम होना भी ज़ायज़ हैं,
एक़ पलक़ी ख़ुशीक़े लिए...
बस दिल मान ज़ाए मेरा,
एक़ पलक़ी बेवफ़ाईक़े लिए...
8179शायर क़हक़र,बदनाम ना क़रना मुझे lमैं तो रोज़ शामक़ो,दिनभरक़ा हिसाब लिख़ता हूँ ll
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सुना हैं, तुम्हें मोहब्बतसे,
शिक़ायतें बहुत हैं...
गुमनाम मोहब्बतक़ो,
क़ैसे बदनाम क़रोगे ?
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