3 February 2022

8176 - 8180 नज़र गुमनाम तन्हा पल ख़ुशी मोहब्बत हिसाब शिक़ायतें बेवफ़ा शौहरत बदनाम शायरी

 

8176
मुझे नहीं बनना तुम्हारी नज़रोंमें अच्छा,
मुझमें ख़ामी ही बेहतर हैं...
बदनामीक़ी शौहरतसे,
गुमनामी ही बेहतर हैं.......!

8177
बदनाम ही तो हो गए हैं,
आपक़ी मोहब्बतक़ी ख़ातिर...
और आप भी छोड़ गए तन्हा,
क़ुछ ज़्यादा ही हो शातिर.......

8178
बदनाम होना भी ज़ायज़ हैं,
एक़ पलक़ी ख़ुशीक़े लिए...
बस दिल मान ज़ाए मेरा,
एक़ पलक़ी बेवफ़ाईक़े लिए...

8179
शायर क़हक़र,
बदनाम ना क़रना मुझे l
मैं तो रोज़ शामक़ो,
दिनभरक़ा हिसाब लिख़ता हूँ ll

8180
सुना हैं, तुम्हें मोहब्बतसे,
शिक़ायतें बहुत हैं...
गुमनाम मोहब्बतक़ो,
क़ैसे बदनाम क़रोगे ?

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