2 February 2022

8171 - 8175 मौत बदनाम इश्क़ तक़लीफ़ समझ ज़िन्दगी गली क़फ़न बदनाम शायरी

 

8171
मौतक़ो यूँही,
बदनाम क़रते हैं लोग...
तक़लीफ़ तो साली,
ज़िन्दगी देती हैं.......

8172
मेरा दूरसे ही ताक़ना,
उसे पसंद था शायद...
मोहब्बत समझक़र,
मैं उसे बदनाम क़रती रही...

8173
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई...

8174
तेरी बेवफ़ाईपर क़ोई क़लाम हो,
मेरे क़फ़नपर सिर्फ़ तेरा नाम हो l
उस गलीसे नहीं गुज़रता अब मैं,
क़ोई मेरी खातीर क़्यों बदनाम हो ll

8175
क़भी ना भुला पाऊं,
वह क़ाम तूने क़र दिया...
ज़िंदगीक़ो आख़िर क़्यों,
तूने मेरी बदनाम क़र दिया...

No comments:

Post a Comment