16 February 2022

8231 - 8235 दिल इश्क़ महबूब लफ्ज़ याद समझ एहसास तक़लुफ़्फ़् ख़्वाहिश ख़्याल ज़ज़्बात शायरी

 

8231
कुछ उम्दा क़िस्मक़े,
ज़ज़्बात हैं हमारे...
क़भी दिलसे समझनेक़ी,
तक़लुफ़्फ़् तो क़ीज़िए...ll

8232
ज़ज़्बातक़ी स्याही ज़ब,
दिलक़े पन्नोंपर ज़म ज़ाती हैं !
हर एक़ लफ्ज़,
शायरी बन ज़ाती हैं !!!

8233
ज़ो अपने महबूबक़े,
यादोंमें ख़ो ज़ाएँ...
उसक़ा एहसास और ज़ज़्बात,
मीठा मीठा हो ज़ाएँ.......!

8234
बदलते नहीं ज़ज़्बात,
मेरे तारीखोंक़ी तरह...
बेपनाह इश्क़ क़रनेक़ी,
ख़्वाहिश मेरी आज़ भी हैं...!

8235
बहुत नाज़ुक़ हैं ज़ज़्बात मेरे,
ज़ो तुम्हारे दिलमें रख़े हैं l
क़हीं ठेस लग ज़ाये,
बस इतना ख़्याल रख़ना...ll

No comments:

Post a Comment