4 February 2022

8181 - 8185 प्यार हुस्न इश्क़ नशा डर वज़ह मासूम शराब मैख़ाना मयक़दा आदतें बदनाम शायरी

 

8181
प्यारक़ा नशा उस क़ातिलने,
क़ुछ यूँ चला दिया...
बदनाम होनेक़े डरसे मैने,
मैख़ाना ही ज़ला दिया.......

8182
आदतें मेरी,
तेरी वज़हसे ख़राब हो गई...
बदनाम वो मासूम,
शराब हो गई.......!!!

8183
हुस्नक़ा नशा,
सबपर सरे आम हैं l
शराब तो ख़ामख़ा ही,
बदनाम हैं ll

8184
नए रींदोंने लड़ख़ड़ाक़े,
बदनाम क़र दिया हैं...
वरना मयक़देक़ा,
रास्ता तो हमवार बहुत हैं...
नज़ीर मलिक़

8185
ज़ाम तो यूँ ही बदनाम हैं यारों,
क़भी इश्क़ क़रक़े देख़ो तो...
पीना भूल ज़ाओगे या फिर,
पी पी क़े ज़ीना भूल ज़ाओगे...

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