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8 March 2017

1063 हँस गम छिपा लोग देख शायरी


1063
"मैं हँसता हूँ तो बस,
अपने गम छिपानेके लिए,…
और लोग देखके कहते हैं,
काश हम भी इसके जैसे होते….…"