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3 April 2021

7356 - 7360 हसरत याद ख़्वाब अंज़ाम हक़ीक़त शरारत बेवफ़ा नाराज़ नाराज़गी शायरी

 
7356
मुझक़ो हसरतक़ी हक़ीक़तमें,
देख़ा उसक़ो...
उसक़ो नाराज़गी क़्यूँ,
ख़्वाबमें देख़ा था मुझे.......!
                            शोहरत बुख़ारी

7357
अंज़ामतक पहुँचनेक़ा,
आगाज़ हो गया;
अच्छा हुआ कि,
मुझसे वो नाराज़ हो गया ll

7358
नाराज़ ना होना, हमारी शरारतोंसे...
क़्योंकि इन्ही शरारतोंसे हम,
हमेशा आपक़ो याद आएँगे.......!!!

7359
देखो नाराज़गी मुझसे,
ऐसे भी ज़ताती हैं वो...
छुपाती भी क़ु नहीं...
ज़ताती भी क़ु नहीं...

7360
नाराज़ हूँ मैं उससे,
उसने मनाया भी नहीं...
वो लोगोंसे क़हता फ़िरता हैं,
बेवफ़ा हूँ मैं.......