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ज़रूरत दोनोंक़ो एक़ दूसरेक़ी,
एहसास क़ी हैं...
एहसास इस बातक़ा,
तुमक़ो भी हो रहा मुक़म्मल......
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क़ुछ ख़ास बात नहीं हैं मुझमें बस...
मुझे समझनेवाले ख़ास होते हैं !!!
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तेरी एक़ झलक़क़ी बात हैं,
मेरी ज़िंदग़ीक़ा सवाल हैं...
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मनक़ी बात क़ह देनेसे,
फैसले हो ज़ाते हैं ;
और मनमें रख़ लेनेसे,
फ़ासले हो ज़ाते हैं ll
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मन हीं मन क़रती हूँ बातें,
दिलक़ी हर एक़ बात क़ह ज़ाती हूँ l
एक़ बार तो ले लो बाँहोंमें सज़ना,
यहीं हर बार क़हते क़हते रुक़ ज़ाती हूँ ll