2 February 2017

915


उन आँखों की झपकियों को भी ...
सौ दफा सलाम है ...
दिल ...
जिन आँखों की पलकों के नीचे ...
मेरी चाहत पनाह लेती है ...

914


अजब फलसफा है वक्त का
मोहब्बत के दौर मैं,
इंतजार मोहब्बत मैं वक्त कटता नही
दीदार मोहब्बत मैं वक्त थमता नही...

913


तू हकीकत-ए-इश्क है
या कोई फरेब..
ज़िन्दगी में आती नहीं, 
ख़्वाबों से जाती नहीं...

912


दिलों कि बात भले
करता हो जमाना,
मगर मोहब्बत आज भी
चेहरों से ही होती है...

911


ये वो दौर हैं कि पढ़ने वालें...
हर लफ़्ज़ को छू के देखते हैं...

31 December 2016

910 इनकार इक़रार शायरी


इनकार जैसी लज़्जत …
इक़रार में कहां ...
बढता है इश्क़ ...
उसकी ना-ना से . . .

909


उस को भी हम से मोहब्बत हो...
ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो...
ज़रूरी तो नहीं !

908


ना कोई इजहार है,
ना कोई इकरार है,
फिर ना जाने क्यूं ये दिल,
इतना बेकरार है ... l

30 December 2016

907


फिर नहीं बसते वो दिल
जो एक बार टूट जाएं ...
क़ब्रें कितना ही संवारों
कोई जिन्दा नहीं होता।।

906


शौक ख़ुदकुशी है
ये भी यारों...
थक गए जो ज़िन्दगी से
वो मोहब्बत कर बैठे...!!

29 December 2016

905


आज बाजार मे देखा ,
कुछ नादान बच्चे सब्जी बेच रहे थे !
मैने पूछा पालक है क्या ?
बच्चो का जवाब सुनकर मेरा मन भर आया . . .
बोले " पालक " होते तो क्या सब्जी बेचते...?

904


मानों तो एक
" रूह का रिश्ता " है
हम सभी का...
ना मानों तो
" कौन "  क्या  " लगता " है
किसी का . . .।

903


आज तो हजारो वादें कर रहे हो
मुझे पाने के लिए...,
कल एक बहाना ही काफी होगा
मुझे छोड़ जाने के लिए . . . ! ! !

902


वो कहते है...
तुम दिल से नही सोंचते;
दिल तो उनके पास है...
ये वो क्यों नही सोंचते...!

901


एक दरवाजा क्या खुला मुझमे,
फिर तो हर कोई आ बसा मुझमे...

900


सच का इंतिहान
कर लिया हमने
फरेब को सच
मानते मानते.......

899


अब खुद से मिलने को
मन करता है,
लोगों से सुना है कि
बहुत बुरे हैं हम.......

898


नफरत को हम प्यार देते है,
प्यार पे खुशियाँ वार देते है,
बहुत सोच समझकर हमसे
कोई वादा करना,
ऐ दोस्त हम वादे पर जिदंगी
गुजार देते है...

28 December 2016

897


बहूत नज़दीक आते जा रहे हो
आजकल तुम..!!
क्या वाकई बिछड़ने का इरादा
कर लिया है तुमने ?

896


यूँ तो ये गिलास,
कितना छोटा है...
पर न जाने कितनी बोतलें,
पी गया होगा...